मीडिया 500 और 1000 रुपये के विमुद्रीकरण के कारण जनता को हो रहे असुविधा की कहानियाँ को उन्मादित तरीके से देश के सामने प्रस्तुस्त कर रही है| हम चिंताजनक सबूत देख रहे है कि कई मीडिया समूह और पत्रकार इस स्थिति का उपयोग अपने संपादकीय / राजनीतिक एजेंडा के लिए कर रहें हैं।
टाइम्स ग्रुप ने हाल के दिनों में दो रिपोर्ट चलाई हैं जिनमें वास्तविक तथ्यों को तोड़ा मरोड़ा गया है| राष्ट्र के लिए इस महत्वपूर्ण क्षण में जो सय्यमित तथा संवेदनशील मीडीया रिपोर्टिंग की अपेक्षा थी, उसका भारी अभाव दिख रहा है।
टाइम्स ऑफ इंडिया मुंबई संस्करण १२ नोवेंबेर के मुख्य पन्ने की रिपोर्ट जिसका शीर्षक है ‘सर्वर क्रैश, और ग्राहक भी’, पेपर ने 2 खबरो मैं दावा किया है की 500 और 1000 के विमुद्रीकरण की वजह से हुई कठिनाइयों के कारण लोगों की मृत्यु हो गई है|
“मुंबई के उपनगर मुलुंड में, विश्वनाथ वर्तक, 73, का एचएसबीसी बैंक के बाहर दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई, जबकि एक गृहिणी ने
एक एटीएम से खाली हाथ लौटने के बाद हावड़ा में कूद कर आत्महत्या कर ली|”
नकली कहानी # 1 – वरिष्ठ नागरिक बैंक के बाहर कतार में इंतजार करते हुए मर गया
१३ नवेंबर को , टाइम्स ऑफ इंडिया ने एचएसबीसी मुलुंड बैंक के बाहर एक वरिष्ठ नागरिक की मरने की झूठी खबर छापने के लिए क्षमा संदेश 7 वें पेज पर प्रकाशित किया है| एचएसबीसी बैंक ने बताया की उनकी कोई शाखा या एटीएम मुलुंड में नहीं है।
ट्विटर पर छवि देखें
Buried on page 7, TOI – apology for fake news of senior citizen dying outside HSBC Mulund. HSBC doesn't even have a branch or ATM in Mulund. pic.twitter.com/14tVpTrSxV
— Amit Thadhani (@amitsurg) November 13, 2016
और वास्तव में क्या हुआ एक मीडिया रिपोर्ट से पता चलता है –
“यह घटना करीब 11:30 सुबह ,हरी ओम नगर मुलुंद(पूर्व) एस.बी.ई शाखा के बाहर हुई | नवघर पोलीस स्टेशन के .वरिष्ठ इंस्पेक्टर माधव मोरे के अनुसार , एस.बी.ई बॅंक से लगभग 100 मीटर की दूरी पे मृतक वर्तक अपनी पत्नी के साथ रहता था| वर्तक पिछले 20 वर्षो से उच्च रक्तचाप से पीड़ित था| वह एसबीआई बैंक की शाखा पर पहुंच कर जब सीढ़ियाँ चढ़ने लगा तो उसे चक्कर सा महसूस हुआ और उसके हाथ और पैर काँपने लगे| इंस्पेक्टर मोरे ने यह भी बताया उस समय बॅंक मे कोई भीड़ नहीं थी”
मृतक के एक रिश्तेदार ने कहा, “परिवार परेशान है कि मीडिया विमुद्रीकरण के मुद्दे को उनकी मृत्यु से जोड़ रही है। उनका स्वास्थ्य कुछ समय से सहीं नहीं था|उनकी मृत्यु और उनका बॅंक जाने से कोई संबंध नहीं है|
नकली कहानी # 2 : एटीएम से खाली हाथ लौटी गृहिणी की कूदने से मौत
इकोनॉमिक टाइम्स ” एटीएम से खाली हाथ लौटी गृहिणी ने कूद के आत्महत्या की” शीर्षक से एक विस्तृत कहानी छापी| सनसनीखेज शीर्षक और घटी घटना मे बहुत विरोधाभास है| महिला के पति ने आरोप लगाया कि आत्महत्या के पीछे का कारण पता नहीं है जबकि परिवार का कहना है कि महिला गलती से बालकनी से गिर गयी| पोलीस को संदेह है की वह अपने पति के साथ विवाद के बाद बालकनी से कूदी|
पति, परिवार, या पुलिस ने बंद एटीएम को मौत का कारण नहीं बताया| मृत महिला एक रीटेलर की पत्नी थी और एक पॉश अपार्टमेंट परिसर मे रह रही थी- क्या वास्तव मे एटीएम से खाली हाथ आना उसकी आत्महत्या का कारण हो सकता है?
एक ट्विटर यूज़र ने जानी मानी टाइम्स ऑफ इंडिया की स्तंभकार सागरिका घोस को इसी झूठे विषय को फैलते हुए पकड़ा
Headline: "after futile ATM visit"
Sagarika: "due to lack of cash" pic.twitter.com/WYmrRMxQzz— Ketan C Bhate (@BhateKetan) November 13, 2016
जनता विमुद्रीकरण से जुड़े हुए नमक मिर्च लगा के प्रस्तुत की जा रही खबरों का अपने विवेक से अवलोकन करे| विमुद्रीकरण से जुड़ी नयी कहानियाँ का ‘हमले के तहत चर्च’ या ‘हमले के तहत दलितों’ की कहानियों की तरह आने वाले हफ्तों और महीनों में गूंजने की संभावना है| इस संकट लकिन महत्वपूर्ण घड़ी में आम नागरिकों को एक दूसरे का और बॅंक कर्मचारियों का समर्थन करना चाहिए| यह सच है कि नागरिकों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है ,लेकिन इस तरह की झूठी सनसनीखेज कहानियाँ केवल जनता की परेशानी और बढ़ाने का काम करती हैं |
(संतोष कुमार द्वारा हिंदी अनुवाद)
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