क्या चर्च शोषण के अड्डे हैं? यह प्रश्न आज पूरी दुनिया में पूछा जा रहा है क्योंकि हाल ही में पोलैंड के कैथोलिक चर्च ने कहा है कि पोलैंड में 292 पादरियों ने वर्ष 1958 से लेकर 2020 तक 300 से अधिक बच्चों का यौन शोषण किया है। सोमवार को जब यह रिपोर्ट आई तो फिर से चर्च पर प्रश्न उठने लगे हैं।
एक प्रश्न यह भी उठता है कि क्या पोलैंड ही एकमात्र देश है, जहाँ यह हुआ, या फिर और भी देशो में ऐसा हो चुका है? क्या यह एक ही देश के पादरियों की प्रवृत्ति है या फिर और भी? इसके उत्तर में यह निकल कर आता है कि चर्च में यौन शोषण की गतिविधियाँ आज की नहीं हैं, बल्कि यह तो कई वर्षों से चली आ रही हैं।
पिछले दिनों कनाडा में एक स्कूल में लगभग 215 बच्चों के शव मिलने से पूरी दुनिया सन्न रह गयी थी और जिनमें से कुछ बच्चों की उम्र तो तीन वर्षों से भी कम थी। ये शव किन बच्चों के थे? और कितने पुराने थे, जब यह पता चला था तो पूरा विश्व इस कहानी को सुनकर दर्द से भर गया था। दरअसल यह शव उन बच्चों के थे, जो वहां के मूल निवासी थे और यह शव वर्ष 1900 से 1971 के बीच के हैं। इन बच्चों को चर्च ने आवासीय विद्यालयों में “सुधार” के लिए प्रवेश दिया था। और उन्हें उनके मातापिता से अलग करके “आधुनिक जीवनशैली” की शिक्षा दी जाती थी।
उस मध्य बच्चों का शोषण हुआ या क्या हुआ, यह अभी तक निर्धारित नहीं हो पाया है क्योंकि अभी पता नहीं चल पाया है कि इन बच्चों की मृत्यु कैसे हुई थी। यह सभी बच्चे कनाडा के रेसिडेंशियल स्कूल सिस्टम में सबसे बड़े आवासीय स्कूल कैमलूप्स इंडियन रेजिडेंशियल स्कूल में विद्यार्थी थे। रिलिजन के नाम पर चर्च ने बच्चों का जीने का अधिकार ही छीन लिया था। इस स्कूल को वर्ष 1978 में बंद कर दिया था।
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में बाल शोषण पर रिपोर्ट जारी की गई थी। यद्यपि यह चार वर्ष पुरानी रिपोर्ट है, परन्तु उसमें कहा गया था कि बच्चों के साथ यौन शोषण की घटनाएं प्राय: कन्फेशन बॉक्स और चर्च में होती हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार 4000 से ज्यादा पीड़ितों ने व्यक्तिगत सत्रों में कहा कि उनका यौन शोषण धार्मिक संस्थान अर्थात चर्च में तब हुआ जब वह बच्चे थे।
बच्चों का यह यौन शोषण घर या कहीं विलासिता वाले स्थानों पर न होकर रिलीजियस स्कूलों, अनाथालयों और मिशन, चर्च, कन्फेशनल और अन्य धार्मिक संस्थानों में हुआ था। बच्चों के साथ बलात्कार सहित कई प्रकार से यौन शोषण हुआ था तथा शोषण करने वालों में गुंडे या बुरे लोग नहीं बल्कि पादरी, रिलीजियस ब्रदर्स और सिस्टर, मिनिस्टर, चर्च के बड़े लोग, रिलीजियस स्कूल्स में टीचर्स और रेजिडेंशियल संस्थानों में काम करने वाले सहित कई अन्य लोग शामिल थे।
एक पुस्तक है The Dark Box: A Secret History of confession, द डार्क बॉक्स: अ सीक्रेट हिस्ट्री ऑफ कन्फेशन, उसमें लेखक जॉन कॉर्नवेल ने अपने साथ हुए अनुभवों के बारे में बताया है। और बताया है कि कैसे कन्फेशन बॉक्स के नाम पर बच्चों का यौन शोषण होता है। लेखक ने बताया है कि वह कितना विश्वास करते थे पादरियों पर, परन्तु जब वह दस वर्ष के हुए तो उनके साथ कॉन्फेशन बॉक्स में एक पादरी ने गलत कार्य करने का प्रस्ताव किया, वह भी तब जब वह उनका कॉन्फेशन सुन रहा था।
इसके साथ ही इस पुस्तक 122वें पृष्ठ पर लिखा है कि कैसे मेलबर्न में पांच व्यक्तियों ने आत्महत्या कर ली थी, जो रोनाल्ड पिकरिंग के चर्च में अल्टर बॉयज के रूप में कार्य कर रहे थे। जर्मनी में मार्च 2010 में, कैथोलिक चर्च ने बच्चों के साथ चर्च में होने वाले यौन शोषण को लेकर एक हॉटलाइन की स्थापना की, तो जैसे कॉल की कतार ही लग गयी थी और उसमें 8500 से ज्यादा अभिभावकों ने कॉल किया था। जो परिणाम आए थे उनका विश्लेषण करने वाले एन्द्रीज़ ज़िम्मरमन (Andreas Zimmermann) ने जर्मन कैथोलिक न्यूज़ एजेंसी केएनए को बताया था कि जिन पादरियों ने शोषण किया था, उन्होंने बच्चों पर अपनी सत्ता पाने के लिए कॉन्फेशन जैसी परम्पराओं के मनोवैज्ञानिक प्रभाव और नैतिक सत्ता का दुरूपयोग किया था, और उन्हें यहाँ तक बताया था कि जो भी किया जा रहा है, वह सभी उनके लिए “गॉड का विशेष प्रेम” है।
ऑस्ट्रेलिया के ही रॉयल कमीशन ने मार्टिना (काल्पनिक नाम) की कहानी बताई थी, जिसके साथ कॉन्फेशन बॉक्स में यौन शोषण हुआ था। जब वह आठ वर्ष की थीं, तब एक पादरी ने उसके साथ कैथोलिक एलेमेन्टरी स्कूल में कन्फेशन बॉक्स में यौन शोषण किया। उन्होंने अपना अनुभव बताते हुए लिखा था “मुझसे जो करने के लिए कहा गया, वह मैंने किया।
मार्टिना ने बताया कि पादरी ने उनसे अपने गुप्तांग के साथ खेलने के लिए और फिर चूसने के लिए कहा। एक आठ साल की बच्ची के लिए यह भयानक अनुभव था। मार्टिना ने कहा कि उसके बाद उसने मुझे जाने के लिए कहा और नन ने मुझसे कहा कि अगर मैं फिर से शैतानी करूंगी तो शैतान आएगा और मुझे अपने साथ ले जाएगा। और मैं डरी हुई थी, इतनी डरी हुई कि मैं नहीं चाहती थी कि मैं शैतान का शिकार बनूँ। ”
यह बार बार स्थापित हुआ है कि बच्चों को शैतान के नाम पर प्रताड़ित किया जाता है। और यह कोई कपोल कल्पित कहानियां नहीं हैं, बल्कि भोगे हुए ऐसे अनुभव हैं, जिनके साए में ईसाई रिलिजन के बच्चे बड़े हुए हैं।
दक्षिण अफ्रीका के कार्डिनल ने कुछ ही वर्ष पूर्व कहा था कि बच्चों के साथ यौन सम्बन्ध बनाना एक रोग है और अपराध नहीं। रायटर्स के अनुसार उन्होंने कहा था कि “मेरे अनुभव से बच्चों के साथ यौन सम्बन्ध बनाना एक प्रकार का रोग है, और यह कोई आपराधिक स्थिति नहीं है।”
यह पूरे विश्व में फ़ैली हुई यौन शोषण और पीड़ा की वह गाथा है जिस पर कोई बात नहीं करना चाहता, उन बच्चों के बारे में पूरा विश्व मौन रहता है जो वाकई में रिलीजियस हिंसा का शिकार होते हैं। जी हां, यह हिंसा ही है, जो उन्हें बचपन से लेकर पूरे जीवन अपनी गिरफ्त में लिए रहती है क्योंकि वह उनके जीवन की सहजता का नाश कर देती है। वह जिस पीड़ा को भोगकर बड़े होते हैं, शायद उनके में रिलिजन की वही परिभाषा होती है। और अब पोलैंड में जब यह पता चला है, तो एक बार फिर से यह चर्चा में विषय आया है।
हालांकि वेटिकन ने दिखाने के लिए कुछ कदम उठाते हुए कुछ पदाधिकारियों पर कुछ कार्यवाही की है। और एक ऑनलाइन कांफ्रेंस में पोलैंड के कैथोलिक चर्च के प्रमुख आर्कबिशप वोजीक पोलक ने बार बार पीड़ितों से क्षमायाचना की है।
परन्तु प्रश्न यही है कि क्या क्षमा याचना पर्याप्त है या फिर बच्चों के साथ किए जाने वाले इस आधिकारिक यौन शोषण पर कोई दंडात्मक कार्यवाही होगी?
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