‘आम कांग्रेसी कार्यकर्त्ता चुपचाप देख रहें कि किस तेजी से उनकी पार्टी राजनैतिक रूप से कालातीत होती जा रही है.’- किसी और का नहीं, बल्कि ये कहना है, अपने शीर्ष नेतृत्व से निराश, कांग्रेस के राष्ट्रीय-प्रवक्ता संजय झा का [अंग्रजी दैनिक ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ में लिखे अपने लेख में ] |
लगता है कांग्रेस के अन्दर ही ऐसे लोगों की संख्या कम नहीं जिनकी सहिष्णुता अब जवाब देने लग गयी है, और जिनके लिए राहुल गाँधी को बर्दाश्त कर पाना कठिन होने लगा है | और ऐसे में अब और अधिक, जबकि लोगों का मूड भापनें में नासमझी दिखाते हुए वे एक के बाद एक बिना जानकारी के ट्वीट पर ट्वीट करने में लगे हुए है |
वर्तमान का चीन के साथ सीमा विवाद का कारण हमारे द्वारा वहां पर अधोसरंचना को बड़े पैमाने पर विकसित करना है, जिसकी खतरनाक अनदेखी कांग्रेस के तमाम वर्षों के शासन-काल में हुई | इसकी पुष्टि कांग्रेस के ए के अंटोनी के उस जानकारी से हो जाती है जो कि २०१३ में अपने रक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने स्वयं पार्लियामेंट मे दी थी| उन्होंने बताया था कि भारत की तुलना में कितने बड़े पैमाने पर सड़कें, पुल, सुरंगें जैसी सामरिक आवश्यकता की चीजों का निर्माण कर चीन नें सरहद तक अपनी पहुँच पुख्ता कर ली है | देश कांग्रेस से इस लापरवाही का जवाब चाहता है, और उनके नेता राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी हैं कि एनडीए की वर्तमान सरकार से बेतुके प्रश्न करके लोगों को स्वयं पर ही हंसने का मौका दे रहे हैं |
कभी पूर्वोत्तर प्रदेश तब समाचारों की सुर्खियाँ बनते थे जब वहां उल्फा, टीएनवी या ऍमएनएफ जैसे संगठनों द्वारा कोई अलगाववादी घटनाओं को अंजाम दिया जाता था | चीन जैसे गैर-भरोसेमंद पडोसी देश से इस क्षेत्र की भोगोलिक निकटता के कारण इस स्थिति की लम्बे समय तक अनदेखी सामरिक दृष्टि से ठीक नहीं | इसको ध्यान में रखकर बड़ी विकास परियोजनाओं को इन प्रान्तों में मोदी सरकार ने प्राथमिकता के आधार पर अपने पहले शासनकाल में ४४ हजार करोड़ आवंटित करते हुए शुरू करवाईं | ये राशी अब तक किसी भी सरकार के द्वारा आवंटित राशी से कहीं अधिक है | आज ये स्थिति है कि जिन क्षेत्रों में पहुंचनें में दिनों लगते थे वहां अब सफ़र कुछ घंटों में ही पूर्ण हो हो जाता है| इस कदम से वहाँ के निवासीयों में राष्ट्रीय एकात्म भाव का जागरण हुआ सो अलग |
‘में यदि दोषी हूँ तो पूरी तत्कालीन कांग्रेस-सरकार दोषी है | क्योंकि ऐसे खरीदी के मामलों में वायुसेना के मुख्यालय में फैसले नहीं होते |’—एयर चीफ मार्शल[रि] एस पी त्यागी को ये तब कहने को बाध्य होना पड़ा था जब मनमोहन सिंह की UPA सरकार के समय हुए ऑगस्टा वेस्टलैंड हेलीकाप्टर रिश्वत कांड में उन्होंने अपने को घिरा पाया | कभी स्थिती इतनी भयावह थी कि रक्षा- सोदों में दलालों का हस्तक्षेप इस चरम पर जा पहुंचा था कि सेना के अहम् पदों पर नियुक्तियों में उनकी मर्जी का भी पूरा ध्यान रखा जाने लगा था | आज बात बदल चुकी है, अब भ्रष्टाचार की घटनाओं के सुर्खियाँ बटोरनें के दिन लद चुके हैं | राफाएल विमान के सौदे में राहुल गाँधी नें मोदी को अपने बराबरी पर लाकर खड़ा करने में पूरी दम-ख़म तो लगा दी थी, पर हमेशा की तरह उनके बेतुके तर्कों को गंभीरता से लेना वाला देश में कोई नहीं मिला |
आधे से ज्यादा समय विदेश में गुजारने वाले राहुल गाँधी की लॉकडाउन के इस दौर में देश के बहार न जा सकनें के कारण स्वयं की सहनशीलता लगता है जवाब देने लग गयी है | आज उन्हें सारी चिंताएं छोड़ धर्य के साथ जितना जरूरी हो उतना ही बोलने की आवश्यकता है, वो भी सोच और समझ को पूरा दुरुस्त कर लेने के बाद . और नहीं तो वो अनुपम खेर के उस कथन को सच साबित करते नज़र आएंगे कि- ‘ राहुल गाँधी को सहन करना सबसे बड़ी सहिष्णुता है ”-अनुपम खेर, ‘द टेलीग्राफ’ समाचार पत्र के कार्यक्रम में |
-इं. राजेश पाठक
क्या आप को यह लेख उपयोगी लगा? हम एक गैर-लाभ (non-profit) संस्था हैं। एक दान करें और हमारी पत्रकारिता के लिए अपना योगदान दें।
हिन्दुपोस्ट अब Telegram पर भी उपलब्ध है। हिन्दू समाज से सम्बंधित श्रेष्ठतम लेखों और समाचार समावेशन के लिए Telegram पर हिन्दुपोस्ट से जुड़ें ।