कांग्रेस की टूलकिट कल से ही मीडिया में घूम रही है और अब इस पर आरोप प्रत्यारोप का दौर आरम्भ हो चुका है। जहाँ एक ओर आज फिर से संबित पात्रा ने ट्वीट करके कहा कि “दोस्तों कल कांग्रेस यह जानना चाहती थी कि टूलकिट किसने बनाई, तो पेपर के बारे में और जानते हैं। इस पेपर को लिखा है, सौम्या वर्मा ने!
फिर संबित पात्रा ने पूछा कि सौम्या वर्मा कौन हैं और इसके उत्तर में उन्होंने लिखा है कि सबूत खुद ही अपनी बात स्पष्ट करते हैं। क्या अब सोनिया गांधी और राहुल गांधी उत्तर देंगे?”
यह पता चला है कि सौम्या वर्मा कांग्रेस की रीसर्च विंग की सदस्य हैं और काफी सक्रिय रहती हैं
Friends yesterday Congress wanted to know who’s the Author of the toolkit.
Pls check the properties of the Paper.
Author: Saumya Varma
Who’s Saumya Varma …
The Evidences speak for themselves:
Will Sonia Gandhi & Rahul Gandhi reply? pic.twitter.com/hMtwcuRVLW— Sambit Patra (@sambitswaraj) May 19, 2021
वहीं कांग्रेस का यह कहना है कि यह टूलकिट भाजपा के ही बड़े नेताओं की शरारत है, और उन्होंने भाजपा के नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। और इसके साथ कल ही संबित पात्रा पर हमला बोलते हुए कांग्रेस रीसर्च डिपार्टमेंट के अध्यक्ष राजीव गौड़ा ने एक ट्वीट करते हुए कहा था कि भाजपा कोविड 19 कुप्रबंधन पर एक झूठी टूलकिट फैला रही है और सारा ठीकरा एआईसीसी के रीसर्च विभाग पर पर फोड़ रही है।”
टूलकिट पर यदि कांग्रेस सही है तो भाजपा को झूठ फैलाने के लिए माफी ही नहीं मांगनी चाहिए बल्कि सजा भी मिलनी चाहिए, परन्तु कम से कम राहुल गांधी एवं उनकी टीम के साथ साथ कांग्रेस का पक्ष लेने वाले पत्रकार कम से कम वही भाषा बोल रहे हैं, जैसी टूलकिट में लिखी है।
हिंदी के वामपंथी लेखकों के साथ रहा है पूर्व में भी इतिहास:
हिंदी के वामपंथी पत्रकार वही प्रश्न उठा रहे हैं, जैसे प्रश्न उठाने के निर्देश टूलकिट में दिए गए हैं। हिंदी का वामपंथी लेखक वही प्रश्न कर रहा है जैसा निर्देश टूलकिट में दिया गया है। तो ऐसे में क्या समझा जाए? टूलकिट में सेन्ट्रल विस्ता परियोजना पर निशाना साधा गया है। जबकि इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार ने पहले ही कहा कि इस परियोजना से करोड़ों रूपए की बचत होगी क्योंकि अभी सैकड़ों करोड़ों रूपए उन भवनों के किराए में चले जाते हैं, जहाँ पर केंद्र सरकार के कई कार्यालय हैं।
उच्चतम न्यायालय द्वारा इस परियोजना की स्वीकृति प्राप्त हो गयी है, फिर भी सरकार को नीचा दिखाने के लिए और सरकार को गरीब विरोधी दिखाने के लिए इसे विलासिता घोषित करना है। सरकार पर उसकी लागत को लेकर प्रहार करना है। इस परियोजना को पर्यावरण विरोधी दिखाना है और इसी के साथ इसे एकदम अनावश्यक बता देना है।
जैसा निर्धारित था, वैसा पहले से हो रहा था। हिंदी का वामपंथी लेखक जगत पहले से ही यह कर चुका था। वैसे यदि ऐसी कोई टूलकिट सामने नहीं भी आए तो भी हिन्दी का वामपंथी लेखन संसार देखकर समझा जा सकता है कि कैसे बिना किसी सुनियोजित टूलकिट के ही अभियान चलाया जा सकता है। वह लोग आज से कई दिन पहले से ही सेन्ट्रल विष्ठा प्रोजेक्ट जैसी बातें लिखने लगे थे। एवं कभी कभी ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस की टूलकिट या अभियान या तो वहीं से डिजाइन होते हैं या फिर वहीं से कांग्रेस को मार्गदर्शन प्राप्त होता है।
जीवितों को लाश बनाने की रणनीति:
कांग्रेस की टूलकिट में जो सबसे अधिक आपत्तिजनक है वह है इस महामारी के पीड़ितों का लाभ उठाना। हिन्दू पोस्ट में हमने बार बार यह प्रश्न किया है कि ऑक्सीजन एवं रेमेदिसिवर इंजेक्शन जब बाज़ार में उपलब्ध नहीं थे तो सोशल मीडिया पर एक्टिविस्ट को कैसे मिल रहे थे और वह भी उन लोगों को एक विशेष विचारधारा के लोगों को, जो कुछ महीने पहले तक किसान आन्दोलन का प्रचार कर रहे थे, और डिज़ाईनर वस्त्र पहनकर किसानों का साथ दे रहे थे और यहाँ तक कि 26 जनवरी की हिंसा पर भी वह उपद्रवियों के पक्ष में जाकर खड़े हो गए थे और इसके साथ ही उनकी वैचारिक प्रतिबद्धता कांग्रेस एवं वामपंथी है।
तो क्या यह सब उसी टूलकिट के माध्यम से हो रहा था? यह प्रश्न अब इसलिए उठ रहा है क्योंकि अब उस पॉइंट के माध्यम से तार जुड़ रहे है जिसमें कांग्रेस ने कहा है कि “पत्रकारों, मीडिया पेशेवरो एवं दूसरे इन्फ्ल्युएन्सर्स को प्राथमिकता दी जाए” यह बिंदु इसलिए आवश्यक है क्योंकि ऐसे कई इन्फ्ल्युएन्सर्स थे जो कांग्रेस के नज़दीकी हैं और उन्होंने रेमेदिसिविर इंजेक्शन आदि दिलवाने में और ऑक्सीजन सिलिंडर दिलवाने में सहायता की। क्या यह सहायता इस कीमत पर हुई कि मोदी सरकार के खिलाफ लिखना है और कांग्रेस को मसीहा साबित करना है?
प्रधानमंत्री की छवि पर प्रहार:
उसके बाद जो सबसे बड़ा बिंदु है उसपर और ध्यान देना है, इसमें लिखा है कि प्रधानमंत्री की अनुमोदन रेटिंग अभी तक नीचे नहीं हुई है और जनता अभी तक उनसे जुड़ी हुई है। इसलिए यह अच्छा मौका है कि उनकी छवि को तार तार कर दिया जाए। इसलिए कुछ कदम उठाने चाहिए। उन हैंडलर्स से मोदी की अक्षमता पर प्रश्न किए जाएं जो मोदी या भाजपा के समर्थक जैसे लगें। फिर जो सबसे ज्यादा ध्यान देने योग्य है वह है कि विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स पर भी कब्ज़ा जमाया जाए, या तो उन्हीं विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स को दिखाया जाए जिनमें मोदी की अक्षमता की बात की गयी है या फिर विदेशी मीडिया में लिखने वाले भारतीय पत्रकारों को लिखने के बिंदु बताए जाएं।
कुम्भ के बहाने हिंदुत्व पर प्रहार करना:
अब प्रश्न उठता है कि क्या यही कारण है कि बरखादत्त, राणा अयूब, राम चन्द्र गुहा जैसे लोग कांग्रेस के द्वारा दिए गए बिन्दुओं पर लिख रहे हैं एवं लगातार कुम्भ को ही सुपर स्प्रेडर बोल रहे हैं, जैसा कांग्रेस की टूलकिट में कहा गया है। हिन्दू विरोधी वामपंथी लेखक भी कुम्भ को निशाना बना रहे थे और बाद में ईद पर इस बात का गम कर रहे थे कि उनके घर सिम्वई नहीं आईं। इतना ही नही वामपंथी हिंदी लेखक जो जन्मदिन तक न मनाने की बात कर रहे थे, कुम्भ को कोस रहे थे, वही ईद पर सबसे पहले बधाई देने के लिए आगे थे।
क्या यह लेखक और पत्रकार यह इसी टूलकिट के इशारे पर कर रहे थे? शायद हाँ!
और इनका कार्य करने का पैटर्न बहुत सूक्ष्म है, मानवता की छतरी तले हिन्दू धर्म को गाली देना। मानवता के नाते कुम्भ को कोसना और मानवता की आड़ में ही कुम्भ को कोरोना का सबसे बड़ा कारक बता देना।
यदि कांग्रेस और वामपंथी लेखकों एवं पत्रकारों के पिछले अभियानों पर नजर डाली जाए तो ऐसा नहीं लगता कि यह टूलकिट जाली होगी या कांग्रेस द्वारा नहीं बनाई गयी होगी क्योंकि कहीं न कहीं यह एक कार्य करने का तरीका कठुआ काण्ड के बाद एकदम से उभरा है।
कठुआ में बच्ची के साथ उस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे पर सभी दुखी थे। परन्तु अचानक से ही पहले कुछ वामपंथी हिंदी लेखकों ने उस बच्ची के मामले में धर्म का प्रवेश कराया और फिर अचानक से ही हिन्दुओं को बदनाम किया जाने लगा और फिर हम सभी ने देखा कि कैसे उसके बहाने न केवल हिन्दू धर्म को निशाना बनाया गया बल्कि कथित फ़िल्मी सेलिब्रिटीज़ ने भी हैश टैग किए।
यही मोडस ओपेरेंडी नागरिकता संशोधन अधिनियम एवं उसके बाद हुए दिल्ली दंगों में रही, हाथरस का मामला, और सबसे पहले रोहित वेमुला का मामला, अख़लाक़ आदि मामला, सभी की कार्यपद्धति एक सी रही है।
परन्तु एक प्रश्न पूछना आवश्यक है कि क्या भाजपा को लक्षित करने के लिए हिन्दू धर्म को अपना निशाना बनाना आवश्यक है या फिर यह कांग्रेस का हिन्दुओं से प्रतिशोध है कि यदि भाजपा को वोट देंगे तो हम आपके हर त्यौहार को निशाना बनाएंगे। परन्तु जब भाजपा कहीं से सत्ता में नहीं थी तब प्रभु श्री राम के अस्तित्व पर प्रश्न केवल और केवल कांग्रेस ने ही उठाए थे और न्यायालय में यह स्वीकारा था कि राम एक काल्पनिक चरित्र हैं।
आज जूना गढ़ अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि आचार्य जी भी टूलकिट के माध्यम से कुम्भ मेले पर प्रहार करने का विरोध किया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि आंकड़ों को यदि देखा जाए तो यह पता चलेगा कि जब कुम्भ मेला चल रहा था तब कोरोना की प्रचंडता अन्य प्रदेशों में बहुत अधिक थी। उन्होंने कहा कि कुम्भ मेले को यूनेस्को द्वारा भी मानवता की अमूर्त धरोहर, सांस्कृतिक धरोहर कहा है। इसलिए अपने क्षुद्र स्वार्थों के कारण कुम्भ पर भ्रामक प्रचार करना देवसत्ता का अनादर करना है।
कुंभ पर्व का दुष्प्रचार सर्वथा अनुचित है; आँकड़ो की सत्यता यह है की कुम्भ में कोरोना की प्रचण्डता अन्य प्रदेशों में अधिक थी ! क्षुद्र स्वार्थ सिद्धि के लिए मानवता की अमूर्त्त सांस्कृतिक धरोहर #कुम्भ पर भ्रामक प्रचार देवसत्ता का अनादर है ! #टूलकिट @narendramodi @AmitShah @PTI_News pic.twitter.com/p2khPh4r8T
— Swami Avdheshanand (@AvdheshanandG) May 19, 2021
इसी के साथ योग ऋषि बाबा रामदेव ने भी कुम्भ पर निशाना साधे जाने की निंदा की है।
#BabaRamdev speaks against Congress tool-kit and its anti-hindu propaganda…#CongressToolkitExposed #Kumbh#RahulGandhi #ArvindKejriwal pic.twitter.com/6OXtlduQJw
— PoliticsSolitics (@IamPolSol) May 19, 2021
घूम फिर कर प्रश्न यही आएगा कि हिन्दुओं से कांग्रेस को समस्या क्या है? क्यों विदेशी पत्रकारों के हाथों कभी वह राम मंदिर तो कभी कुम्भ मेले पर प्रहार करवाती है? आखिर वह अपने लेखकों और पत्रकारों से कुम्भ पर आक्रमण क्यों करवाती है?
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