विश्व हिन्दू परिषद के द्वारा मेवात में हिन्दू समाज की प्रताडना के सम्बन्ध में तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच समिति की घोषणा 14 मई को की गयी। विश्व हिन्दू परिषद के महामन्त्री मिलिन्द परांडे ने फोन करके हमें सूचित किया था तथा हमारी सहमति प्राप्त कर ली थी। दिनांक 14 मई को ही परस्पर चर्चा करते समय यह ध्यान में आया कि अभी लाकडाउन चल रहा है अतः उसके नियमों का उल्लंघन किये बिना हमें अपना कार्य पूरा करना है। मेवात में पीडित गाँव में जाने पर किसी ना किसी नियम का उल्लन्घन हो सकता था अतः पीड़ित या उनके सम्बन्धियों को अग्रवाल धर्मशाला सिविल लाइन गुरुग्राम में दिनांक 15 मई को प्रातः 10 बजे बुलाने का निर्णय लिया गया। 14 मई को ही पीडित गांवों की सूची बनाई गयी तथा उनको सूचना देने का तंत्र निश्चित किया गया। 15 मई को ही प्रातः १० बजे ही मेवात क्षेत्र के पीडित गांवो से 18 लोग आये व चार हिंदुओ ने फोन पर अपनी व्यथा सुनाई व दो मेवों ने जिहादियों के अत्याचारों का वर्णन किया।
15 मई को अग्रवाल धर्मशाला गुरुग्राम के तत्वाधान मे उपरोक्त विषय पर विस्तार से चर्चा हुई व अनेक लोगों की समस्याओं को सुना गया। इनके विषय में जानकारी प्राप्त की गयी। उनकी पीडा व वर्तमान परिस्थितियों पर गहनता से विचार किया गया। मेवात के अनेकानेक स्थानों से आए पीडितों ने अपने कष्टों तथा अपने ऊपर हुए अत्याचारों के विषय में अवगत कराया।
मुख्य तौर पर चर्चा में मेवात के तीन थाना क्षेत्र (पुन्हाना, बिछोर व नगीना) इन कथित उत्पीड़नों के केन्द्र बिंदु पाये गये। लोगों ने अपने कथन में यह भी कहा कि इन इलाको में जो गांव मुख्य तौर से मुस्लिम बाहुल्य हैं व जहाँ पर हिंदुओं के घर केवल नाम मात्र को हैं, वहां मुस्लिमों द्वारा हिन्दू परिवारों पर बर्बरतापूर्ण अत्याचार किये जा रहे हैं। दुर्भाग्य से पुलिस द्वारा भी किसी प्रकार की अपेक्षित कार्यवाही नहीं की जा रही है। मन्दिरों में भी हिंदुओं का जाना भी दूभर हो गया है। उन पर मुस्लिम समुदाय द्वारा अवैध कब्जा करके मस्जिदों का निर्माण किया जा रहा है। मन्दिर के महंतों एवं पुजारियों के साथ अभद्र व्यवहार किया जा रहा है व शारीरिक व मानसिक तौर पर प्रताडित किया जा रहा है।
यह बात भी कमिटी के सामने आयी कि जब किसी हिन्दू परिवार पर अत्याचार होता है तब या तो उसकी तरफ से कोई पुलिस रिपोर्ट लिखी नहीं जाती, और अगर लिखी भी जाये तो मामूली धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर खानापूर्ति कर दी जाती है। उसमें भी तत्पश्चात् उन हिंदुओं पर दबाव बनवा कर मुकदमे में समझौता करा दिया जाता है। हिन्दू परिवारों पर इस कदर दबाव व अत्याचार हो रहा है कि हिन्दू समुदाय पलायन का विचार कर रहा है। हिन्दू महिलाओं का घर से बाहर निकलना व हिन्दू युवकों का खेती करना व अपने अपने काम पर जाना दूभर हो रहा है।
यदि किसी मुस्लिम के खिलाफ कोई बडी धारा किसी मुकदमें में अंकित की जाती है तो वह भी अपराधी की गिरफ्तारी से पहले ही रद्द करके मुकदमे को जमानती बना दिया जाता है। हिंदुओं के मवेशी भी सुरक्षित नहीं हैं। विशेष रुप से गायों का अपहरण करके हत्या कर दी जाती है। मुस्लिम लोगों को किसी ना किसी बात पर हिंदुओं से लडने का मौका चाहिये। ऐसे ही अनेक उदाहरण सामने आएं हैं जहां मुस्लिम लोगों की 300-400 की भीड़ ने अकेले असहाय निहत्थे हिन्दू परिवार पर लाठी फरसे व पत्थरों से हमले किए। हिन्दू व्यक्ति अभी भी गम्भीर अवस्था में उपचाराधीन है किन्तु, दोषियों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। पुन्हाना, बिछोर व नगीना थानों के तहत मुसलमानों को हिंदुओं के विरुद्ध प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
सरकारी कार्यालयों में, जहाँ मुस्लिम अधिकारी बहुत हैं, हिंदुओं के प्रति घृणात्मक रवैया अपनाया जाता है। एक मामले में चिरौली पुन्हाना में एक वाल्मीकि परिवार के विवाह उत्सव में मुस्लिम युवकों ने ना केवल मारपीट की बल्कि उनके सोने के गहने भी छीन कर ले गये। जिसकी पुलिस रिपोर्ट पुन्हाना थाने में कराई। इसी प्रकार एक मुसलमान द्वारा फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट डाली गयी किन्तु पुलिस रिपोर्ट के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। उसके विपरीत हिन्दू व्यक्ति के खिलाफ ही उपरोक्त सम्बन्ध में झूठा मुकदमा दर्ज किया गया।
गौकशी के मामलों में भी जब पुलिस को सूचना दी जाती है तो भी पुलिस कोई कार्यवाही नहीं करती है। 28 अप्रैल को पुन्हाना में गौ तस्करों की गोली से रघुवीर नामक एक मजदूर मारा गया। इस मामले की लीपापोती की जा रही है। मजदूर का परिवार भुखमरी के कगार पर है, परन्तु मुआवजे की बात तो दूर, उसकी कोई परवाह नहीं की जा रही है। ऐसे मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में जहाँ हिन्दू परिवार गिने चुने हैं, हिंदुओ की सुरक्षा की कोई व्यवस्था नही है। और ना ही अपेक्षित सुरक्षा बल मौजूद हैं।
इसके अतिरिक्त, लॉक डाउन के चलते जहाँ पर हिन्दू व्यवसायी लॉक डाउन के नियमों का पालन करते हुए जब अपने प्रतिष्ठान चला रहे होते हैं, तो वहाँ के स्थानीय अधिकारी केवल हिंदुओं का गैर कानूनी चालान करते हैं जबकि, मुस्लिमों द्वारा चलाये जा रहे व्यावसायिक प्रतिष्ठान लॉक डाउन की धज्जियाँ उड़ाकर बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के धडल्ले से चल रहे हैं। 500 मकानों वाले गाँव कुलैटा (नगीना ) में जहाँ केवल 10 मकान हिंदुओं के हैं, हिन्दुओं का घर से निकलना दूभर हो रहा है। बहू-बेटियाँ भी सुरक्षित नहीं हैं। इतना ही नहीं, सरकारी स्कूलों में हिन्दुओं के बच्चों को नमाज पढने के लिये बाध्य किया जाता है, जहां पर कर्मचारी मुस्लिम बाहुल्य हैं।
चर्चा के दौरान यह बात भी सामने आयी कि मेवात क्षेत्र में बच्चों को ही जेहाद की तरफ धकेला जा रहा है। मदरसों को बढावा दिया जा रहा है। मस्जिदों का गैर-कानूनी तरीके से निर्माण किया जा रहा है। ऐसा ही एक उल्लेख न्यायिक परिसर नूंह का भी आया जहां, अभी एक मस्जिद का निर्माण किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में मुस्लिम समुदाय की कार्य प्रणालीबड़ी अनोखी है। वे पहले किसी भी जगह को चिन्हित करके वहाँ छोटी-मोटी मजार बनाते है। फिर उसे धीरे धीरे एक बड़ीं मस्जिद का रूप दे देते हैं। इसी प्रकार एक अन्य उदाहरण शिकारपुर गाँव का आया है व एक अन्य धुलावट गाँव का भी आया है।
एक बडा गम्भीर विषय पुन्हाना के पास नई गाँव से आया है। यहां एक हिन्दु युवक को मुस्लिम बनाया गया और अब उसकी माता को भी इस्लाम अपनाने के लिये प्रताड़ित किया जा रहा है। ये भी बात सामने आई कि गाँव उटावड में कुख्यात आतंकवादी हाफिज सईद द्वारा दिये गये पैसों से एक बडी मस्जिद बनाई गयी जो सलमान नाम के व्यक्ति के माध्यम से बनवाई गयी। इस समय यह सलमान किसी अन्य मामले में NIA की गिरफ्त में है।
बडा गम्भीर विषय है कि हरियाणा के इस जिले में मुस्लिमों का इतना आतंक व खौफ है जिसके चलते हिन्दुओं का जीना दूभर हो रहा है तथा उनका पलायन हो रहा है। यहाँ का हिन्दू समाज यह जानकार विवश है कि राष्ट्र विरोधी व हिन्दु विरोधी कृत्य सरेआम पुलिस-प्रशासन के संरक्षण में हो रहे हैं। पुलिस भी मुस्लिम तत्वों के इतने दबाव में है कि उसने दबाव में कई वरिष्ठतम पत्रकारों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज करके उन्हें अपने कर्तव्य पालन से रोका जा रहा है।
ऐसे में वहाँ के अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय की सुरक्षा के प्रति राज्य सरकार को जागरुक होना चाहिये और हिन्दू समुदाय की सुरक्षा का उचित प्रबन्ध किया जाये ताकि उनमें एक विश्वास उत्पन्न किया जा सके।
हमारी अनुशंसा है कि:
- क्षेत्र के समस्त पुलिस प्रशासन को बदल कर इनकी जगह कर्मठ व किसी दबाव में ना झुकने वाले अधिकारियों को लाया जाये।
- जिस क्षेत्र में हिन्दुओं पर अत्याचार होते है, वहां के थानाध्यक्ष को व्यक्तिगत रुप से जिम्मेदार ठहराया जाये।
- मेवात में मदरसों, मस्जिदों और मजारों से चल रही राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की NIA से जांच कराई जाये। हवाला के रास्ते आतंकवादियों का पैसा मस्जिदों के बनाने औरर अवैध हथियारों के जखीरे खडा करने में हो रहा है, यह भी जांच में शामिल हो।
- पुलिस पर अविश्वास के कारण वहाँ पर अर्ध सैनिक बलों की उपस्थिति आवश्यक है। अतः मुस्लिम बहुल इलाकों मे अर्ध सैनिक बलों का केन्द्र बनना चाहिये, चाहे उसके लिये भूमि अधिग्रहण करनी पडे।
- हिंदूओं की व्यक्तिगत, सामाजिक व धार्मिक सम्पत्ति पर अवैध कब्जों की जांच होनी चाहिये और उनको जिहादियों के चंगुल से अविलम्ब मुक्त कराना चाहिए।
सभी पीडितों से चर्चा करते समय उनका यह भाव सामने आ रहा था कि अब वे प्रशासन व सरकार पर विश्वास खो बैठे हैं। इसलिये उनमें से कुछ लोग पलायन का सोच रहे है तो कुछ लोग प्रतिक्रिया का भी विचार कर रहे है। दोनों ही स्थितियां घातक हैं। उन परिस्थितियों को वर्तमान हरियाणा सरकार ही ठीक कर सकती है। इसलिए त्वरित कार्यवाही करनी चाहिये।
-जनरल(सेवा निवृत्त) जी. डी. बख्शी, महामण्डलेश्वर स्वामी धर्मदेव, एडवोकेट चन्दकान्त शर्मा
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