24 अगस्त रात्री लगभग 2:00 बजे हरियाणा के पानीपत में एक मुस्लिम व्यक्ति अखलाक सलमानी (28 वर्ष) को 8 वर्षीय हिंदू लड़के के साथ यौन उत्पीड़न करते हुए पकड़ा गया। लड़के के परिवार के आग बबूला सदस्यों ने सलमानी को धर दबोचा और उसे थप्पड़ मारा लेकिन वह वहां से भागने में कामयाब हो गया।
भागते समय सलमानी के रेलवे की पटरी पर गिरने से उसका हाथ कोहनी के नीचे से कट गया। अगले दिन वह रेलवे पुलिस द्वारा पटरी के पास पाया गया और फिर उसे अस्पताल पहुंचाया गया।
शुरू में लड़के के परिवार ने नाबालिग को और अधिक मानसिक आघात से बचाने के लिए शिकायत दर्ज नहीं कराने का फैसला किया, लेकिन 7 सितंबर को उन्होंने तब प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफ.आई.आर) दर्ज कराने का फैसला किया जब पुलिस उनसे पूछताछ करने पहुंची। प्राथमिकी पानीपत के चांदनी बाग पुलिस स्टेशन में पॉक्सो (POCSO – लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम) कानून धारा 6 (गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमले के लिए दंड), धारा 18 (अपराध को करन के प्रयत्न के लिए दंड) और आईपीसी की धारा 323 के तहत दर्ज की गई थी।
प्राथमिकी बयान में 8 वर्षीय लड़के के चाचा विशाल*( पहचान की रक्षा के लिए नाम बदल दिया गया) ने समझाया कि वह, उसकी पत्नी और उनका आठ वर्षीय भतीजा बरामदे में सोए हुए थे। रेलवे ट्रैक के सामने पडने वाले गेट पर ताला नहीं लगा था पर वो बंद था। “लगभग 1:00 बजे रात मैं उठा और बाहर गया। जब मैं लौटा तो देखा कि मेरा भतीजा वहां नहीं था और दरवाजा खुला था। मैंने पड़ोसियों और परिवार के सदस्यों को जगाया और हर कोई बच्चे को ढूंढने लगा। हमने एक युवक को देखा और फिर देखा कि उसने बच्चे को फर्श पर धकेल दिया था और वह उसके ऊपर था। नाबालिक बच्चा बिना कपड़ों के था।” इसके बाद क्या हुआ इस बारे में उन्होंने कहा, “हम सभी बहुत गुस्से में थे। हमने उससे उसका नाम पूछा और उसे थप्पड़ मारा। उसने हमें बताया कि उसका नाम अखलाक था और वह रेलवे लाइन की तरफ भाग निकला। तब से मैं उसकी तलाश में हूं।”
बच्चे का मुंह सूज गया था इसलिए उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाना पड़ा। जब प्राथमिकी दर्ज की गई तो सिंह ने लड़के का 27 अगस्त को अस्पताल जाकर उपचार का मेडिकल प्रमाण पत्र भी जमा किया। उसे कुल चार चोटे आईं थीं।
हालांकि, उसी दिन जब परिवार ने अपनी प्राथमिकी दर्ज कराई तो सलमानी, जो तब तक पर्याप्त रूप से ठीक हो गया था और जिसका भाई इकराम भी उससे मिल चूका था, ने एक प्रत्युत्तर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की जिसमें दावा किया गया कि 24 अगस्त को रात लगभग 1:30 बजे सलमानी पानीपत के किशनपुर क्षेत्र के पास पानी की तलाश में गया था। उसने एक घर में दस्तक दी तो चार लोगों ने कथित रूप से उस पर लाठियों और ईंटों से हमला किया, उसे पास की आरा मशीन पर खींच लिया और उसके दाहिने हाथ को काट दिया। बाद में उन्होंने उसे रेलवे ट्रैक के पास फेंक दिया।
सलमानी के भाई इकराम ने यह आरोप लगाया कि कथित तौर पर अपराध को तब अंजाम दिया गया जब अपराधियों ने सलमानी के दाहिने हाथ पर 786 नंबर का चिन्ह (टैटू) देखा। “वे कट्टर हिंदू थे जो नहीं चाहते थे कि मुसलमान अब हिंदुस्तान में रहें। मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि मेरे भाई पर सिर्फ मुस्लिम होने के कारण हमला किया गया था। जब तक हमारी बात को नहीं सुना जाएगा तब तक मैं पीछे नहीं हटूंगा।”
इकराम ने कहा कि उसका भाई जब पंद्रह वर्ष का था तभी उसके हाथ पर 786 नंबर का टैटू गुदवाया गया था। “हम 786 में विश्वास करते हैं। हम अल्लाह पर विश्वास करते हैं,” उसने कहा।
जिन समाचार माध्यमों ने यह खबर दी, उनमें से अधिकतर जैसे द वायर और हिंदुस्तान टाइम्स ने सलमानी द्वारा दर्ज प्राथमिकी में प्रस्तुत प्रारुप पर ही ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने मुख्य रुप से इकराम सलमानी को बड़े पैमाने पर उद्धृत किया है और केवल पारित रुप में लड़के के परिवार द्वारा दर्ज प्राथमिकी का उल्लेख किया है।द क्विंट ने कम से कम दोनों संस्करणों की सूचना दी है लेकिन उनकी भी शीर्षक पंक्ति थी – “पानीपत में एक मुसलमान पर हमला”, यह तथ्य की सलमानी द्वारा एक नाबालिक बच्चे का यौन उत्पीड़न किया गया था और उसने अपने लैंगिक अंग को बच्चे के मुंह में जबरदस्ती धकेल दिया था, उनके लिए गौण है।
द वायर ने तो विक्षिप्त इस्लामवादी प्रचार माध्यम ट्वसर्कल्स.नेट (Twocircles.net) का उद्धरण दिया है, जिसने अपनी रिपोर्ट से बाल यौन उत्पीड़न के हिस्से को पूरी तरह से मिटा दिया है!
पुलिस की जांच ने बच्चे के परिवार और खुद बच्चे के यौन हमले के बयान को परिपुष्ट किया है।
चांदनी बाग थाने के एसएचओ इंस्पेक्टर अंकित नांदल, जो इस वक़्त मामले की जांच कर रहे हैं, ने द क्विंट को बताया, “प्रारंभिक जांच से पता चला है कि हाथ ट्रेन के पहिए से कटा था…… कोई आदमी रात के दो बजे किसी के घर में पानी लेने क्यों जाएगा? और जब किसी तरह की शत्रुता का कोई इतिहास नहीं है तो वे लोग उसका हाथ क्यों काटेंगे? वो आदमी यहां से नहीं है। बच्चे ने मैजिस्ट्रेट के सामने भी बयान दिया है। उसने कहा है कि अकलाख ने रेलवे स्टेशन के नजदीक के इलाके में अपना गुप्त अंग उसके मुंह में जबरन डाल दिया था।”
अब दोनों मामलों की जांच के लिए पानीपत डीएसपी सतीश वत्स के नेतृत्व में एक जांच समिति (एस.आई.टी) बनाई गई है।
सहारनपुर के सांसद, बसपा के फजलुर रहमान, समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष और भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष सभी सलमानी के घर गए।
मुस्लिम कट्टरपंथी बनाम हिंदू अनभिज्ञता
इकराम सलमानी ऑल-इंडिया-जमात-ए-सलमानी नामक संगठन का सदस्य है। संगठन की वेबसाइट पर एक नज़र डालें तो सलमानी समुदाय के निमित्त इनकी विभिन्न मांगों का ब्यौरा मिलता है – हर जिले में कार्यालय के लिए जगह, हर उस अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही जो उनके खिलाफ ‘साजिश’ करता है, सभी जिलों में भूमि अनुदान, संगठन द्वारा नामित अधिकारियों और वकीलों की केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा नियुक्ति, विशेष रोजगार योजनाएं, राजनीतिक आरक्षण, ‘दलित’ मुसलमानों और ईसाइयों के लिए आरक्षण की अनुमति देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 341 में संशोधन।
ज़रा सोचिये, देश भर में ऐसे कितने ढेरों मुस्लिम संगठन हैं? इससे इस बात का अंदाजा हो जाता है कि मुस्लिमों के पास किस तरह मंजे हुए राजनीतिक हथियार हैं। ये सभी स्तरों पर, क्षैतिज और लंबवत आयोजित हैं। धर्मनिरपेक्ष राज्य से अधिक से अधिक विशेष अधिकारों को लेने के लिए अविरल काम करने के साथ साथ, उन्हें बहुत अच्छी तरह से पता है कि अपनी कार्यावली को कैसे स्थापित करना है, किसी कथात्मक विवरण को कैसे अभिग्रहित करना है, खुद को कैसे पीड़ित के रूप में पेश करना है, इन सब के तरीकों के बारे में वे बहुत गहराई से जानते हैं।उनको पता है कि उनके पास वाम उदारवादी मुख्यधारा का मीडिया, कम्युनिस्ट, धर्मनिरपेक्ष/ उदारवादी/ नास्तिक “हिंदू”, ईसाई संगठन और वाम-उदारवादी गैर-सरकारी संघटन (एनजीओ) गिरोह में मजबूत सहयोगी हैं।
इकराम सलमानी को अचूकता से पता था कि अपने भाई की बांह कटने की घटना को, ना कि आठ साल के लड़के के यौन उत्पीड़न और मौखिक बलात्कार को, मुख्य कहानी सुनिश्चित करने के लिए उसे कौन से बटन दबाने हैं। वह जानता था, ठीक वैसे ही जैसे कुछ इस्लामवादियों ने ये झूठा दावा किया था कि ‘जय श्री राम’ का जाप करने से इनकार करने के बाद उन पर हमला हूआ था, कि अंग्रेजी भाषा की मीडिया द्वारा कौन सी बात उठाई जाएगी। अब मीडिया का पूरा ध्यान एक आदमी की बांह काटे जाने पर है ‘क्योंकि उसने उस पर इस्लामिक प्रतीक 786 का टैटू बनवाया हुआ था’।
इसी बीच, हिंदू अपनी स्थिति के बारे में पूरी तरह से अनभिज्ञ हैं। उन्हें लगता है कि चुनाव के समय ही राजनीति मायने रखती है जब उन्हें सिर्फ यह तय करने की जरूरत है कि किस पार्टी को वोट देना है। अपने खिलाफ काम करने वाली बहु-स्तरीय वैश्विक ताकतों के बारे में वे अंजान हैं, और उस कानूनी भेदभाव के बारे में भी जिसका उन्हें हर दिन अपने भारत देश में सामना करना पड़ता है। फिर पाकिस्तान या बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति की तो क्या ही बात करें। उदाहरण के लिए, आप अपने आप से पूछें की कितने शिक्षित हिंदुओं को हिंदू चार्टर के बारे में जानकारी है ?
यहां तक कि तथाकथित दक्षिणपंथी “राजनीतिक रूप से जागरूक” हिंदू भी भाजपा – रास्वसं (आरएसएस) से परे नहीं देख सकते हैं। क्या हमने छोटे हिंदू संगठनों और स्थानीय मंदिरों, अखाड़ा परिषद व विभिन्न मठों सहित अन्य हिंदू संगठनों से पूछा है कि उनका महत्वपूर्ण, सामाजिक, राजनीतिक मुद्दों पर क्या रुख है? क्या उनकी कोई राय है भी ऐसे विषयों पर? क्या उत्तर प्रदेश में रहने वाले हिंदू जानते हैं कि तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में क्या हो रहा है, और विलोमतः क्या उन दो प्रांतों में रहने वाले हिंदू उत्तर प्रदेश में हिंदु-विरोधी अपराध और अन्य गतिविधियों से अवगत हैं? लेकिन देश भर के मुसलमान आपको बताएंगे कि रोहिंग्या मुसलमानों को शरण देना एक “मानवीय कार्य” है।
तो क्या यह कोई आश्चर्य की बात है की अखलाक सलमानी हमारे संभ्रांत वर्ग के लिए एक विरोध आंदोलन चलाने योग्य विख्याति
बन गया है?
बन गया है?
जबकि कुछ दिन पहले चार मुस्लिमों द्वारा नृशंसता से मारे जाने वाले राहुल को सभी भूल चुके हैं और उसे एक ‘चोर’ की उपाधि दे दी गई सिर्फ इसलिए क्योंकि पुलिस के साथ उसका कुछ अतीत है।