एक राष्ट्र जो निष्क्रियता में डूब रहा है और जो अपनी ही सभ्यता की विरासत को भूल गया है, उसी विरासत को संरक्षित करने के लिए बहुत कुछ बलिदान करने का समय आ गया है। उसी दिशा में एनआईटी श्रीनगर में अदम्य भारतीय छात्रों की कार्रवाई एक विशाल प्रेरणा है।
जम्मू कश्मीर पुलिस की लाठियाँ, कश्मीरी छात्रों एवं कुछ शिक्षकों की धमकियां, कॉलेज परिसर के बाहर गुस्से में कश्मीरी भीड़, एक उदासीन राष्ट्रीय मीडिया और उदासीन राज्य सरकार –इस सब के बावजूद छात्र अंत में गर्व के साथ अपने राष्ट्रीय ध्वज को लहराने में सफल हो गए ।
Flash: JKP OUT of the campus CRPF helping to hoist Indian Flag #NITSrinagarpic.twitter.com/kUrmezGh9b
— NIT SRINAGAR (@SrinagarNit) April 6, 2016
इनमें से कई प्रथम वर्ष के छात्र हैं – उन्होंने ऐसा शारीरक एवं मानसिक अभित्रास झेल लिया जो कई वयस्कों को तोड़ सकता है। उनमें से ज्यादातर के लिए, यह माता-पिता से दूर रहने का पहला अनुभव होगा। और दूर बैठे माता पिता मन में एक ही कल्पना कर सकते हैं ‘अपने बच्चों की सुरक्षा’। उनका तो एक ही संदेश रहा होगा “बेटा, इस सब विरोध में शामिल मत होना … सिर्फ अपने कैरियर के बारे में ध्यान देना”; और इस सोच के लिए हम माता-पिता को दोषी नहीं ठहरा सकतें हैं – मध्यम वर्ग के परिवारों की कुछ ऐसी ही विडम्बना है। लेकिन इन छात्रों का संतुलन आश्चर्यजनक है। हम उनकी भावना को सलाम करते हैं और आशा है कि यह देश के हर कोने में फैले। प्रेरित युवा ‘मुझे क्या, मेरा क्या’ प्रचलित मानसिकता बदल सकते हैं।इस प्रचार में छात्राएं भी किसी तरह से पीछे नहीं रहीं!
Women Power @smritiirani #NITSrinagar pic.twitter.com/IFoG06NWnf
— NIT SRINAGAR (@SrinagarNit) April 6, 2016
देखने योग्य वीडियो
इस वीडियो को देखिये जिसमें एक छात्र ने अपने शरीर पर लगभग 15 ज़ोरदार लाठी वार और लात खाने के बाद भी वह ज़मीन पर नहीं गिरा।
यह सच में वीरता है – न की कन्हैया कुमार व उमर खालिद की तरह निर्मित कागजी वीरता। उन्हें गिरफ्तार करने के लिए दिल्ली पुलिस ने जेएनयू (JNU) कैंपस के बाहर धैर्य से इंतजार किया, जबकि एनआईटी (NIT) में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हॉस्टल में प्रवेश करके निर्दोष छात्रों की बेरहमी से पिटाई की । हमारे मीडिया के लिए, एनआईटी में छात्रों की दुर्दशा, जेएनयू वामपंथियों या रोहित वेमुला की तुलना में प्रतिवेदन के योग्य नहीं है – आखिरकार मध्यम वर्ग हिन्दू छात्रों की पिटाई में कोई राजनीतिक मसाला जो नहीं है। केवल एक चित्र इस विचित्र परिस्थिति को दर्शाता है –
यह वीडियो जम्मू-कश्मीर पुलिस के इस झूठ को उजागर करता है की उनका लाठीचार्ज छात्रों द्वारा पत्थर फेंके जाने के जवाब में था –
परन्तु हमारी राष्ट्रिय मीडिया पुलिस के संस्करण का अत्यधिक प्रचार कर रही है!
police lathicharged NIT students after they threw stones
— IndiaTodayFLASH (@IndiaTodayFLASH) April 6, 2016
यह संघर्ष इन छात्रों के लिए एक शरुआत है। एक बार सुर्खियां ख़त्म हो जाएंगी तब इन छात्रों को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा – कॉलेज के कर्मचारियों ने धमकी दी है कि उनके ग्रेडस पर असर होगा, बाहरी लोगों ने गंभीर परिणाम भुगतने की धमकियां जारी की हैं, और कई छात्रों को सोशल मीडिया पर कड़ी धमकी मिली हैं। अब यह हमारा कर्तव्य है कि इन छात्रों का कट्टर समर्थन करें और यह सुनिश्चित करें कि उनकी सुरक्षा अपरक्राम्य है, और उनके शिक्षाविदों पर इस प्रकरण के कारण कोई असर नहीं हो। #SaveNITStudents, एक दीर्घकालिक परियोजना है – वे राष्ट्र के लिए खड़े हुए, क्या राष्ट्र उनके लिए खडा होगा?
(लता पाठक द्वारा हिंदी अनुवाद)