जैसे जैसे उत्तर प्रदेश में इस्लाम में मतांतरण रैकेट की परतें खुलती जा रही हैं, वैसे वैसे नए और चौंकाने वाले तथ्य सामने आते जा रहे हैं। इतना ही नहीं विश्वास हिलाने वाली तस्वीरें एवं नाम सामने आ रहे हैं। कल इरफ़ान शेख का नाम सामने आया। इमरान शेख का नाम आते ही न केवल खुफियां एजेंसी सतर्क हुईं, बल्कि साथ ही आम जनता भी हैरान रह गयी। क्योंकि वह कोई आम व्यक्ति नहीं था, वह तो प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों का सांकेतिक अनुवाद भी मूक बधिरों के लिए कर चुका था।
इरफ़ान शेख, जिसने प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक बार भी नहीं बल्कि दो दो बार मंच साझा किया था, और वाहवाही बटोरी थी, वह भी केवल और केवल अपने मजहब को फैलाने वाला उपकरण ही निकला और उसने अपने पद का दुरूपयोग किया और वह भी उन मूक बधिरों को इस्लाम में लाने के लिए, जो जीवन जीने के लिए एक जद्दोजहद में हैं और उनसे उनकी धार्मिक पहचान भी छीनने का दुष्कर्म किया।
महाराष्ट्र का रहने वाला इरफ़ान दिल्ली में केन्द्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय में कार्य करता है। वह बाल कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले संस्थान इंडियन साइन लैंग्वेज रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर में सांकेतिक भाषा के अनुवादक के रूप में कार्य करता है।
विडंबना यह है कि जब उस पर अपने मजहब का नशा चढ़ा तो वह दूसरे मजहब के लोगों को बहकाने लगा। उत्तर प्रदेश में एटीएस ने जब उमर गौतम और जहांगीर आलम को हिरासत में लिया और कड़ियाँ खोलनी शुरू कीं तो इरफ़ान शेख का नाम निकल कर आया।
दोनों ही अब्राहमिक रिलिजन करते हैं पद का अपने मजहब के लिए प्रयोग
इरफ़ान शेख ने जिस प्रकार अपने पद का दुरूपयोग अपने मजहब के लिए किया है, उससे एक बात स्पष्ट होती है कि चाहे इस्लाम हो या फिर ईसाई पंथ, दोनों के ही मतावलंबी अपने अपने पदों का दुरूपयोग अपने अपने मजहब के लिए करते हैं। अभी आईएमए के अध्यक्ष डॉ जॉनरोज ऑस्टिन जयलाल का भी वह साक्षात्कार काफी वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने कहा था कि आधुनिक चिकित्सा को “ईसाइयों के हीलिंग” सिद्धांत पर कार्य करना चाहिए।
क्रिश्चियनटी टुडे को दिए गए अपने साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि वह चाहते हैं कि देश को ईसाइयत के उदाहरण के साथ संचालित करें, जिससे ईसाई के “सर्वेंट नेतृत्व” के सिद्धांतों के अधीन कार्य किया जा सके। और उन्होंने यह भी कहा था कि हमें सेक्युलर संस्थानों में काम करने के लिए अधिक से अधिक ईसाई डॉक्टर्स चाहिए होंगे, और उन्होंने यह भी कहा था कि मैं खुद एक मेडिकल कॉलेज में प्रोफ़ेसर के रूप में कार्य कर रहा हूँ, तो मेरे लिए यह बहुत ही अच्छा मौक़ा है कि मैं ईसाई हीलिंग के सिद्धांत यहाँ पर लागू करूं। ग्रेजुएट और इटर्न को मेंटरिंग करने का भी मेरे पास मौका है।
उसके बाद उन्होंने यह भी कहा था कि एक सच्चे ईसाई के लिए अपने पंथ का प्रचार करने के लिए जरूरी नहीं है कि वह पास्टर ही बने। वह किसी भी पद पर होकर और कहीं भी होकर यह कार्य कर सकता है।
अर्थात स्पष्ट शब्दों में पेशेवर डॉक्टर्स की सबसे बड़ी संस्था आईएमए के अध्यक्ष यह कह रहे हैं कि अपने पद का प्रयोग धर्म प्रचार के लिए कर सकते हैं।
और यही कार्य इरफ़ान शेख ने अपने पद पर रहते हुए किया।
ऐसा प्रतीत होता है जैसे यह दोनों विस्तारवादी पंथ हिन्दुओं को निगलने के लिए उतारू हैं, वह हर प्रकार के कदम उठा रहे हैं कि कैसे भी हिन्दुओं को अपने पंथ में ले आएं। इसके लिए वह सब कुछ करने के लिए तैयार हैं। फिर चाहे उसमें पद का दुरूपयोग शामिल हो, जैसा इरफ़ान शेख और डॉ जॉन ऑस्टिन का मामला हो या फिर लालच, लोभ, प्रलोभन देना हो जैसा उत्तर प्रदेश के इस्लाम में मतांतरण के रैकेट में दिनों दिन नए खुलासे में देख रहे हैं या फिर डरा धमकाकर अपने अपने पंथों में लाना हो, जैसा हम लव जिहाद के मामलों में देखते हैं।
लड़कियों को और विशेषकर हिन्दू लड़कियों को हिन्दू लड़का बनकर अपने प्यार के जाल में फंसाना और फिर उन्हें तरह तरह की धमकियां देकर इस्लाम कुबूल करवाने पर जोर देना और इस पर भी यदि नियंत्रण में न आएं तो उनकी हत्या कर देना।
हत्या भी साधारण या एकांत में नहीं बल्कि दिन में खुले आसमान के नीचे, जैसा निकिता तोमर के मामले में देखा है, जिससे लड़कियों के मन में डर पैदा हो कि यदि वह मना करेंगी तो उनके साथ क्या क्या हो सकता है।
अत: यह कहा जा सकता है कि हिन्दुओं पर हर स्तर पर और हर आयाम से निशाना साधा जा रहा है।
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