spot_img

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

spot_img
Hindu Post is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
21.8 C
Sringeri
Thursday, March 28, 2024

शिक्षित हिन्दू बच्चों का धर्म से विमुख होकर इस्लाम में मतान्तारित होना

उत्तर प्रदेश में हाल ही में जो इस्लाम में मतांतरित करने का रैकेट पकड़ा गया है, उसमें एक बात बहुत चौंकाने वाली आई है कि 33 हिन्दू लड़कियों ने इस्लाम अपनाया है और उनमें से 12 बहुत मेधावी रही हैं। यह बहुत ही हैरान करने वाला तथ्य है कि आखिर पढ़ी लिखी शिक्षित लड़कियों में अपने धर्म के प्रति दूरी क्यों बन जाती है? समस्या की जड़ कहाँ पर है? और क्यों लड़कियों का विश्वास इतना कमज़ोर होता है?

https://navbharattimes.indiatimes.com/state/uttar-pradesh/kanpur/religious-conversion-news-teacher-was-removed-from-school-for-opposing-prayer-special/articleshow/83831687.cms

एटीएस को आरोपितों के पास से जो 33 लड़कियों की सूची मिली थी उसमें से अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों की युवतियां हैं। धर्म परिवर्तन कराने के आरोप में गिरफ्तार उमर गौतम और काजी जहांगीर का कहना है कि वह ग्रामीण क्षेत्रों की युवतियों को ही निशाना बनाते थे, वह जिनके साथ सामाजिक स्तर पर भेदभाव होता है। उन्हें सम्मानजनक व्यवहार का लालच देकर वह उनका ब्रेनवाश करते थे।

पर क्या इस्लाम में लाने का यही एक तरीका है, यही ब्रेनवाश का काम लव जिहाद में भी किया जाता है। इसे हम ग्रूमिंग जिहाद कह सकते हैं, जिसमें लड़की को केवल अपने ही धर्म की बुराई दिखाई देती है, जो भी बुरा है वह हिन्दू धर्म में है और जैसे ही वह हिन्दू धर्म छोड़ेगी, वह आज़ाद हो जाएगी। यह भाव आखिर आता कहाँ से है? बार बार इसे समझने के प्रयास में कई कारण नज़र आते हैं। अपने ही धर्म में एक नियम न मानने वाली लडकियां दूसरी कौम में जाकर कैद कैसे मान लेती हैं?

ब्रेनवाश होने की प्रक्रिया क्या केवल बड़े होने पर आरम्भ होती है या फिर पहले ही हो जाती है?

पाठ्यपुस्तकें और इतिहास का अध्ययन

यह प्रश्न उठना चाहिए कि क्या हमारी पाठ्यपुस्तकें ही आधिकारिक रूप से हिन्दुओं को नीचा नहीं दिखाती हैं? बच्चों को बचपन से ही जिन देवी देवताओं का आदर करना सिखाया जा रहा है, क्या उन्हें इतिहास में झूठ तो नहीं दिखाया जा रहा है? यह बहुत ही वैध प्रश्न हैं, क्योंकि एनसीईआरटी की वह पुस्तकें जो वर्ष 2006 से पाठ्यक्रम में हैं, वह क्या हमारे बच्चों को हमारे इतिहास का सही परिदृश्य प्रस्तुत कर रही हैं या फिर कुछ तो ऐसा है जो उन्हें दूर लेकर जा रहा है।

जैसे इतिहास अध्ययन आरम्भ होता है तो मौर्य वंश से ही वामपंथी इतिहासकार भारत का इतिहास आरम्भ करते हैं। उसमें वह मेगस्थ्नीज़ की इंडिका में दिए गए भारत के गौरवशाली इतिहास को नहीं दिखाते हैं। वह यह नहीं दिखाते हैं कि जिस ग्रांड ट्रंक रोड का जनक शेरशाह सूरी को बताया जाता है वह ग्रांड ट्रंक रोड मौर्य काल में अर्थात 302 ईसा पूर्व में भी उपस्थित थी और जिसका वर्णन मेगस्थनीज ने किया है। इंटरकोर्स बिटवीन इंडिया एंड द वेस्टर्न वर्ल्ड, एच जी रौलिंसन , कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस 1916 (INTERCOURSE BETWEEN INDIA AND THE WESTERN WORLD, H। G। RAWLINSON, Cambridge University Press 1916) में इंडिका के माध्यम से लिखा गया है:

यह आठ चरणों में बना हुआ था और वह पुष्कलावती अर्थात आधुनिक अफगानिस्तान से तक्षशिला तक था: तक्षशिला से सिन्धु नदी से लेकर झेलम तक था; उसके बाद व्यास नदी तक था, वहीं तक जहां तक सिकन्दर आया था, और फिर वहां से वह सतलुज तक गया है, और सतलुज से यमुना तक। और फिर यमुना से हस्तिनापुर होते हुए गंगा तक। इसके बाद गंगा से वह दभाई (Rhodopha) नामक कसबे तक गया है और उसके बाद वहां से वह कन्नौज तक गया है।

कन्नौज से फिर वह गंगा एवं यमुना के संगम अर्थात प्रयागराज तक जाता है और फिर वह प्रयागराज से पाटलिपुत्र तक जाता है। राजधानी से वह गंगा की ओर चलता रहता है।”

संभवतया उसके आगे मेगस्थनीज नहीं गए इसलिए इंडिका में यहीं तक का वर्णन है।

यहाँ तक कि इस मार्ग का वर्णन उत्तरपथ के नाम से संस्कृत में भी है, परन्तु उसका उल्लेख भी हमारी पाठ्यपुस्तकों में नहीं है।

अब समस्या यह आती है कि यदि बच्चों को संस्कृत के किसी ग्रन्थ आदि से व्यक्तिगत प्रयासों से यह समझा भी दिया जाए कि उत्तर पथ और दक्षिणपथ नामक दो मार्ग का उल्लेख हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी है, तो भी वह जब इतिहास की पुस्तक जिसके आधार पर उसे अंक मिलेंगे, उसमें उत्तरपथ तो छोड़िये मेगस्थनीज की इंडिका का भी वर्णन गायब मिलता है।

इसी प्रकार चन्द्रगुप्त मौर्य के पोते अशोक, जिन्हें भारतीय इतिहास का सबसे महान शासक मात्र इसलिए बताया जाता है क्योंकि उनका ह्रदय हिंसा को देखकर हृदय परिवर्तन हो गया था और उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया था तो वह भी हिन्दू धर्म के प्रति अनादर भरता है कि हिन्दू धर्म इतना हिंसक था, और बौद्ध धर्म अहिंसक। जबकि इतिहासकारों का कथन है कि वह बौद्ध धर्म को पहले ही अपना चुके थे। इतिहासकार राधाकुमुद मुखर्जी अपनी पुस्तक अशोक में लिखते हैं कि अशोक कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध नहीं बने थे, बल्कि वह बौद्ध धर्म के पहले ही उपासक हो चुके थे। और कलिंग युद्ध के बाद हुई हानि के बाद वह और अधिक पालन करने लगे।

इसके साथ ही रोमिला थापर भी किंग अशोक एंड बुद्धिज्म नामक पुस्तक में लिखती हैं कि अशोक राज्याभिषेक से पूर्व जब उज्जैन का प्रशासन सम्हाल रहे थे तभी वह बौद्ध धर्म की ओर आकर्षित हुए थे। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार उनके पुत्र महेंद का जन्म हुआ था और महेंद की माँ देवी बौद्ध धर्म की उपासक थीं, तो अशोक पहले भी व्यक्तिग रूप से बौद्ध धर्म के साथ जुड़े हुए थे।

रोमिला थापर का भी यही कहना है कि अशोक का बौद्ध धर्म में जाना एक अकस्मात् घटना नहीं थी बल्कि एक सहज प्रक्रिया थी, जो बौद्ध धर्म के साथ लम्बे समय तक साथ जुड़े रहने के कारण विकसित हुई थी।

http://www.buddhistelibrary.org/en/albums/asst/ebook/king_asoka.pdf

और इसके विपरीत हमारी इतिहास की पुस्तकों में चन्द्रगुप्त मौर्य के शासन का वर्णन नहीं होता, न ही बिन्दुसार के शासन का, जिन्होंने उस विशाल मौर्य वंश की स्थापना की जो अशोक को विरासत में मिला था। अचानक से सम्राट अशोक हमारे बच्चों के सामने आते हैं और हमारे बच्चों के कोमल मस्तिष्क में हिन्दू द्रोह या कह लें असंतोष का बीज पैदा हो जाता है। क्योंकि उससे पूर्व का इतिहास अर्थात महाभारत का इतिहास यह लोग मानते नहीं हैं और हम जिसे अपना इतिहास मानते हैं, कथित पश्चिमी या आधुनिक इतिहास उसे गप्प मानता है।

यही कक्षा दस या बारह के बच्चे इस प्रकार के इस प्रकार के इस्लामी या ईसाई मतांतरण के सबसे बड़े निशाने पर रहते हैं,, क्योंकि उनकी पाठ्यपुस्तक यह बताती है कि हिन्दुओं का इतिहास नहीं है और भव्य और गौरवशाली इतिहास छिपा जाती है।


क्या आप को यह  लेख उपयोगी लगाहम एक गैर-लाभ (non-profit) संस्था हैं। एक दान करें और हमारी पत्रकारिता के लिए अपना योगदान दें।

हिन्दुपोस्ट अब Telegram पर भी उपलब्ध है। हिन्दू समाज से सम्बंधित श्रेष्ठतम लेखों और समाचार समावेशन के लिए  Telegram पर हिन्दुपोस्ट से जुड़ें ।

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

Thanks for Visiting Hindupost

Dear valued reader,
HinduPost.in has been your reliable source for news and perspectives vital to the Hindu community. We strive to amplify diverse voices and broaden understanding, but we can't do it alone. Keeping our platform free and high-quality requires resources. As a non-profit, we rely on reader contributions. Please consider donating to HinduPost.in. Any amount you give can make a real difference. It's simple - click on this button:
By supporting us, you invest in a platform dedicated to truth, understanding, and the voices of the Hindu community. Thank you for standing with us.