भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान में इन दिनों तालिबान दिनों दिन हिंसा का नया रूप दिखा रहा है और अफगानिस्तान में हिंसा और खून खराबे के वही दृश्य नज़र आ रहे हैं, जो इस मजहबी हिंसा के कारण विश्व के किसी भी भाग में दिखाई देते हैं। पूरे विश्व में खलीफा का ही राज्य हो, ऐसा सपना देखने वाले समूह कई हैं, जिनके कई नाम हैं, पर काम करने का तरीका एक ही है। और वह हैं हिंसा का नंगा नाच। जो आपके मजहब को क़ुबूल न करना चाहे उसे मौत के घाट उतार दिया जाए।
ऐसा ही एक समय था 3 अगस्त से लेकर 4 अगस्त 2014 का समय, जब आईएसआईएस के आतंकवादियों ने उत्तरी ईराक में सिंजर पर हमला कर दिया था और ईराक में अल्पसंख्यक समुदाय यजीदियों के शहर पर अपना अधिकार कर लिया था। उस दिन की खौफनाक घटनाओं के बारे में विश्व ने जब जाना तो सारा विश्व भौचक्का रह गया था।
On 3 August 2014, Islamic State group attacked the Yezidi community in #Sinjar, northern Iraq. Thousands were imprisoned or killed, and close to 100,000 people fled to Mount Sinjar.
A Glimpse of the Destruction In Sinjar #YazidiGenocide
1/2 pic.twitter.com/KPhUFKPAGb— Zidan Ismail (@zidan_yezidi) August 4, 2021
मानवाधिकार परिषद में वर्ष 2016 में यजीदियों के खिलाफ आईएसआईएस के अपराधों पर एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई, जिसमें यजीदियों के नरसंहार का वर्णन किया गया था। इसमें लिखा है कि यजीदियों ने हत्या, यौन गुलामी, अत्याचार और अमानवीय एवं अपमानजनक व्यवहार तथा जबरन मतांतरण ने शारीरिक और मानसिक यंत्रणा दी। उन्हें एक ऐसा जीवन दिया जो उनके लिए धीरे धीरे मौत ला रहा था। यजीदी बच्चे अपने परिवारों से अलग हो गए थे और यजीदी लड़कियों को आईएसआईएस लड़ाकों को सौंप दिया गया।
इस रिपोर्ट में यह लिखा था कि वर्ष 2016 तक 3200 यजीदी महिलाएं और लडकियां आईएसआईएस की कैद में थीं और उनमें से अधिकतर आईएसआईएस द्वारा नियंत्रित सीरिया के क्षेत्रों में थीं और यह अनुमान लगाना बहुत कठिन था कि कितने यजीदी लड़कों को आईएसआईएस की सेना में लड़ने के लिए प्रशिक्षित कर लिया गया था।
इस रिपोर्ट में उन स्त्रियों की कहानियां हैं, जिन्हें बार बार आईएसआईएस के बाज़ार में बेचा गया। 18 महीनों तक गुलाम बनी हुई महिला ने बताया कि उसे दो बार बेचा गया। उसने लिखा कि आईएसआईएस की हमले से पहले मैं खुश थी। मेरे पति मुझसे प्यार करते थे, हमारे बच्चों को प्यार करते थे और हमारा बहुत अच्छा जीवन था। आईएसआईएस ने मुझे एक वर्ष तक बंदी रखा, मैंने अपने पति को हमले के दिन से नहीं देखा है।
यजीदी धार्मिक प्राधिकरण का कहना है कि जब आईएसआईएस ने सिंजर पर हमला किया तो वह नष्ट करने के लिए आए।
दरअसल जब मजहबी मानसिकता आती है, तो वह नष्ट ही करने के लिए आती है। भारत में अभी तक उस विध्वंस के निशान हैं। वह पहचान नष्ट करना चाहते हैं। जैसे भारत में अयोध्या, मथुरा और काशी की नष्ट कीं। जैसे लाल किले की कर दी और जैसे क़ुतुबमीनार की कर दी थी। वह सब कुछ नष्ट करके केवल अँधेरा चाहते हैं।
और आज ही उन्होंने अपने पाक मुल्क पकिस्तान में हिन्दुओं के एक मंदिर को नष्ट किया है।
Attack on Hindu temple at Bhong City District Rahimyar Khan Punjab. Situation was tense since yesterday. Negligence by local police is very shameful. Chief Justice is requested to take action. pic.twitter.com/5XDQo8VwgI
— Dr. Ramesh Vankwani (@RVankwani) August 4, 2021
वह अपने से अलग सब कुछ नष्ट कर देना चाहते हैं। पाकिस्तान में राष्ट्रीय असेम्बली के सदस्य और पाकिस्तान हिन्दू काउन्सिल के अध्यक्ष डॉ रमेश वान्कवानी ने एक अत्यंत दुःख से भरा हुआ वीडियो ट्वीट किया, जिसमें रहीमयार खान जिले के भोंग शहर में हिन्दू मंदिर पर आक्रमण के दृश्य थे। उस में साफ दिखाई दे रहा है, कि कैसे मजहबी मानसिकता नष्ट ही करना चाहती है।
Attack on Ganesh temple Bhong Sharif Rahim Yar Khan Punjab. Chief Justice is requested to take action, please. pic.twitter.com/LMu90Pxm5r
— Dr. Ramesh Vankwani (@RVankwani) August 4, 2021
यह वही मानसिकता है, जो सदियों से भारत की आत्मा को छलनी कर रही है और जिसने भारत भूमि पर कदम ही केवल विध्वंस के लिए रखा था। आज वैसे तो मजहबी और कबीलाई मानसिकता के उस वहशीपन को याद करने का दिन है, जब उसने निर्दोष यजीदियों को नष्ट करने के लिए हर संभव कदम उठाए थे।
और यह कबीलाई और मजहबी मानसिकता अपनों को भी नहीं छोडती है। अफगानिस्तान में एक महीने में वह 900 से अधिक लोगों को मार चुका है।
'Taddin Khan: The Taliban have killed 900 people in Kandahar in one month'
There is only one way to end these atrocities:#SanctionPakistan https://t.co/GEwVheHIdC
— Chris Alexander (@calxandr) August 4, 2021
ऐसे ही 3 अगस्त 2014 को केवल इस्लाम के शासन को स्थापित करने के लिए एक ही दिन में 200 से अधिक यजिदियों को मार डाला था। अभी तक ईराक में यजीदियों की सामूहिक कब्रें मिल रही हैं। जैसे भारत में जरा सा भूमि खोदते ही निकल आते हैं उसकी पहचान के चिन्ह!
कबीलाई मानसिकता मिटा देना चाहती है पहचान।
फिर चाहे वह पाकिस्तान में हिंदुओं के मंदिर तोड़े, यजीदियों को ईराक में मारे या फिर भारत में हिन्दू लड़कियों के साथ नाम बदल कर छल करे, बलात्कार करे और लव जिहाद करे!
आज भी लगभग 3000 यजीदी स्त्रियाँ आईएसआईएस की कैद में है और उनका भाग्य अभी तक पता नहीं है। पर इस मजहबी मानसिकता की कैद से जो आज़ाद हो रही हैं, उनका दृढ निश्चय यही है कि वह हर एक अपहृत को मुक्त कराएंगी।
यजीदी नरसंहार क्या प्रथम ऐसा नरसंहार था जिसमें अपने से अलग मजहब वालों को निर्ममता से मौत के घाट उतार दिया गया? नहीं! यह मजहबी वर्चस्व का प्रश्न है। सब कुछ तहस नहस कर केवल अपनी खलीफाई स्थापित करने का प्रश्न है! वह हिन्दुओं को मार डालना चाहते हैं, वह यजीदियों को मार डालना चाहते हैं! और फिर खोजेंगे नए शिकार!
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